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बिहार चुनाव में लालू के दोनों बेटों को छोड़ सभी बड़े नेताओं के बेटे चुनाव हारे

पटना। बिहार विधान सभा चुनाव 2015 में लालू-नीतीश-कांग्रेस महागठबंधन को मिले शानदान जन समर्थन का एक असर अलग रूप में भी बिहार चुनाव के नतीजों में सामने आया है। इस बार लोगों ने नेताओं के बेटे बेटियों को राजनीति की मुख्यधारा में शामिल करने की कोशिशों को बहुत ज्यादा तरजीह नहीं दी है। अधिकांश को मुंह की खानी पड़ी है। लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटों तेज प्रताप और तेजस्वी को छोड़ सभी बड़े नेताओं के बेटे चुनाव हार गए।
राजनीति में परिवार को आगे बढ़ाने की कोशिशों को लोगों का समर्थन मिलता रहा है, लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी बदली दिखाई दी। चुनाव मैदान में दांव आजमा रहे तमाम नेता पुत्रों को लोगों ने नकार दिया। जदयू सरकार में कृषि मंत्री रहे और बाद में हम में शामिल हुए नरेंद्र सिंह के दोनों बेटे इस बार किस्मत आजमा रहे थे।
एनडीए में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, भाजपा सांसद अश्विनी चौबे और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर के बेटे चुनावी मैदान में थे। जीतनराम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन कुटुंबा सुरक्षित सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार राजेश कुमार के हाथों पराजित हुए।
मांझी की पार्टी हम (सेक्यूलर) के प्रदेश अध्यक्ष शकुनी चौधरी ख़ुद तो तारापुर सीट से मैदान में थे ही उनके बेटे राजेश कुमार भी खगडय़िा सीट से चुनाव लड़ रहे थे। दोनों अपनी-अपनी सीट हार गए हैं। वहीं भाजपा सांसद अश्विनी चौबे के बेटे अपनी पिता की ही पुरानी भागलपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और वर्तमान विधायक अजित शर्मा से हारे।
भाजपा सांसद सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर को भाजपा के विधायक दिलमणि देवी का टिकट काटकर पार्टी ने ब्रह्मपुर सीट से उम्मीदवार बनाया था। लेकिन विवेक भाजपा की यह सीट नहीं बचा सके। आरजेडी के शंभुनाथ यादव ने उन्हें कऱीब 31 हज़ार वोटों से हरा दिया है। लोजपा सांसद रामचंद्र पासवान के पुत्र प्रिंस राज कल्याणपुर सीट से पहली बार मैदान में कूदे थे। उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा।
भागलपुर सीट पर अश्विनी कुमार चौबे का लंबे समय से कब्जा रहा था। उन्होंने यहां का कई टर्म प्रतिनिधित्व किया। तमाम अंदरूनी विरोधों के बीच पार्टी ने उन्हें पिता की सीट का उत्तराधिकार सौंपा था, लेकिन शाश्र्वत को मतदाताओं ने स्वीकार नहीं किया।
रामविलास पासवान के दोनों दामाद अनिल कुमार साधु और मृणाल पासवान भी चुनाव मैदान में थे। जहां अनिल कुमार साधु बोंचहा से चौथे स्थान पर रहे, मृणाल मुक़ाबले में रहे लेकिन जीत नहीं सके।
लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी के बेटों को हार का मुंह देखना पड़ा। शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी जीत गए हैं। वे राजद के टिकट पर शाहपुर से चुनाव लड़ रहे थे और उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार विश्वेशार ओझा को हराया।
राजग गठबंधन के दूसरे सबसे बड़े घटक लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के भाई पशुपति नाथ पारस के बेटे प्रिंस राज की किस्मत भी इन चुनावों में दांव पर थी। समस्तीपुर के कल्याणपुर से उम्मीदवार राज को मतदाताओं ने नकार दिया। इसी तरह विजय कुमार मिश्र के बेटे ऋषि मिश्रा की किस्मत ने भी साथ नहीं दिया। वे चुनाव हार गए। पिछले साल इसी सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होने जीत हासिल की थी।
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