लखनऊ. दीपावली के एक दिन बाद भाई दूज (भैया दूज) आता है। यह त्योहार भाई के प्रति बहन के स्नेह को दर्शाता है। बहनें अपने भाई की खुशहाल जीवन के लिए कामना करती हैं इस दिन हर बहन रोली और अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं और भाई बहन को कुछ उपहार देता है। यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं।
इस त्योहार के पीछे मान्यता है कि इसी दिन यम (यमराज) देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को दर्शन दिया था, जो बहुत समय से अपने भाई से मिलने के लिए व्याकुल थी। अपने घर में भाई यम के आने पर यमुना बहुत प्रसन्न हुईं। उन्होंने भाई के लिए एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और खूब आदर सत्कार किया।
ऐसे में यमराज ने अपनी बहन के सेवा-सत्कार से काफी खुश हुए और यमुना को वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर यमी ने कहा, ‘भैया, यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो वर दीजिए कि आज के दिन प्रतिवर्ष आप मेरे यहां आया करेंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे।’ इसके बाद भाई यम ने अपनी बहन का आशीर्वाद दिया और उपहार भेंट किए।
उसी समय से यम द्वितीया के दिन यमुना और यमराज की पूजा करने का बड़ा महत्व है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी दीर्घायु और अपने सुहाग की रक्षा के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। जानकार मानते हैं कि इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य भाई और बहन के बीच प्रेम और बंधन का प्रवाह रखना है।
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