नई दिल्ली: अपनी जमीन पर अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन के अमेरिकी ऑपरेशन में मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने कहा था कि उसे इस आतंकी के अपने यहां छिपे होने की जानकारी नहीं थी। अब तत्कालीन रक्षामंत्री चौधरी अहमद मुख्तार ने कबूला है कि लादेन के पाकिस्तान में छिपे होने की जानकारी पाक सरकार, सेना और इंटेलिजेंस को सालों से थी। मुख्तार ने यह बात एक न्यूज चैनल से बातचीत में कबूली है।
क्या कहा पूर्व पाक रक्षामंत्री ने?
मुख्तार ने कहा कि रक्षामंत्री के तौर पर उन्हें लादेन के पाकिस्तान में रहने की भनक थी। इसके अलावा, पांच से सात साल से सरकार और पाकिस्तानी सेना जानती थी कि अलकायदा चीफ देश में ही था। और ज्यादा पूछे जाने पर मुख्तार ने यह भी कबूला कि तत्कालीन सेना प्रमुख अशफाक कियानी, राष्ट्रपति जरदारी, पीएम गिलानी, आईएसआई चीफ और कई अधिकारियों को भी लादेन के एबोटाबाद में होने की जानकारी थी।
मुख्तार ने कहा कि रक्षामंत्री के तौर पर उन्हें लादेन के पाकिस्तान में रहने की भनक थी। इसके अलावा, पांच से सात साल से सरकार और पाकिस्तानी सेना जानती थी कि अलकायदा चीफ देश में ही था। और ज्यादा पूछे जाने पर मुख्तार ने यह भी कबूला कि तत्कालीन सेना प्रमुख अशफाक कियानी, राष्ट्रपति जरदारी, पीएम गिलानी, आईएसआई चीफ और कई अधिकारियों को भी लादेन के एबोटाबाद में होने की जानकारी थी।
एबोटाबाद में अमेरिका ने लादेन को बनाया था निशाना
2011 में 1 और 2 मई की दरमियानी रात पाकिस्तान के एबोटाबाद में अमेरिकी नेवी सील्स के कमांडोज ने बेहद खुफिया मिशन के तहत लादेन को उसके घर में घुसकर मार गिराया था। इसके लिए, अमेरिकी कमांडोज स्पेशल हेलिकॉप्टर्स में सवार होकर काफी नीचे उड़ान भरते हुए अफगानिस्तान स्थित बेस से एबोटाबाद पहुंचे थे। यह जगह पाकिस्तान की मिलिट्री अकादेमी से बेहद करीब थी। वहीं, इस्लामाबाद यहां से महज 100 किमी दूर था। इस वजह से अमेरिका ने बेहद खुफिया तरीके से इस मिशन को अंजाम दिया था।
2011 में 1 और 2 मई की दरमियानी रात पाकिस्तान के एबोटाबाद में अमेरिकी नेवी सील्स के कमांडोज ने बेहद खुफिया मिशन के तहत लादेन को उसके घर में घुसकर मार गिराया था। इसके लिए, अमेरिकी कमांडोज स्पेशल हेलिकॉप्टर्स में सवार होकर काफी नीचे उड़ान भरते हुए अफगानिस्तान स्थित बेस से एबोटाबाद पहुंचे थे। यह जगह पाकिस्तान की मिलिट्री अकादेमी से बेहद करीब थी। वहीं, इस्लामाबाद यहां से महज 100 किमी दूर था। इस वजह से अमेरिका ने बेहद खुफिया तरीके से इस मिशन को अंजाम दिया था।
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