व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर संदेश भेजने से जुड़ी
इनक्रिप्शन पॉलिसी के मसौदे पर छिड़े विवाद के बाद सरकार ने आज इसे वापस ले
लिया। केंद्रीय संचार एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सोशल मीडिया के
लिए यह नीति बनाने वाली विशेषज्ञ समिति ने इसके मसौदे को कल ही सार्वजनिक
किया था और आम लोगों से इस पर राय मांगी थी।
उन्होंने कहा कि यह अभी मसौदा है और सरकार की नीति नहीं है। उन्होंने इसे कल ही देखा था और इसमें कुछ ऐसी बातें लिखी थी, जिनसे संदेह पैदा हो रहा था, इसलिए सरकार ने आज सुबह विभाग को इसे वापस लेने का निर्देश दिया है। संचार मंत्री ने कहा कि उन्होंने विभाग से सभी मुद्दों पर फिर से व्यापक विचार करने को कहा है और इसे अंतिम रूप देने के बाद मसौदे के बारे में एक बार फिर से लोगों से राय मांगी जायेगी।
प्रसाद ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया की आजादी का समर्थन करती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इस मीडिया की सक्रियता काफी आगे बढ़ी है तथा सरकार इस आजादी को बनाये रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि साइबर स्पेस में लोगों की गतिविधियां तेजी से बढ़ रही है और अब तक इसके नियमन के लिए कोई ठोस नीति नहीं थी, जिसे देखते हुए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था।
उन्होंने कहा कि इनक्रिप्शन पॉलिसी से जुड़े दो मुद्दे हैं। पहला यह है कि इनक्रिप्शन का स्रोत कौन है और दूसरा मुद्दा यह है कि इसे कौन उपभोक्ता प्राप्त करता है। सरकार का मकसद यह है कि इस पॉलिसी के तहत उन स्रोतों को नियंत्रित किया जाये, जो इन संदेशों को भेज रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सामान्य उपभोक्ता इस पॉलिसी के दायरे में नहीं आता।
उन्होंने कहा कि यह अभी मसौदा है और सरकार की नीति नहीं है। उन्होंने इसे कल ही देखा था और इसमें कुछ ऐसी बातें लिखी थी, जिनसे संदेह पैदा हो रहा था, इसलिए सरकार ने आज सुबह विभाग को इसे वापस लेने का निर्देश दिया है। संचार मंत्री ने कहा कि उन्होंने विभाग से सभी मुद्दों पर फिर से व्यापक विचार करने को कहा है और इसे अंतिम रूप देने के बाद मसौदे के बारे में एक बार फिर से लोगों से राय मांगी जायेगी।
प्रसाद ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया की आजादी का समर्थन करती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में इस मीडिया की सक्रियता काफी आगे बढ़ी है तथा सरकार इस आजादी को बनाये रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि साइबर स्पेस में लोगों की गतिविधियां तेजी से बढ़ रही है और अब तक इसके नियमन के लिए कोई ठोस नीति नहीं थी, जिसे देखते हुए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था।
उन्होंने कहा कि इनक्रिप्शन पॉलिसी से जुड़े दो मुद्दे हैं। पहला यह है कि इनक्रिप्शन का स्रोत कौन है और दूसरा मुद्दा यह है कि इसे कौन उपभोक्ता प्राप्त करता है। सरकार का मकसद यह है कि इस पॉलिसी के तहत उन स्रोतों को नियंत्रित किया जाये, जो इन संदेशों को भेज रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सामान्य उपभोक्ता इस पॉलिसी के दायरे में नहीं आता।
0 comments:
Post a Comment