....

नेताजी के परपोते ने कहा, 'मेरे पिता दाऊद इब्राहिम नहीं थे, फिर उनकी जासूसी क्यों हुई?'

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलें सार्वजनिक कर दी। इसके साथ ही नेताजी के रिश्तेदारों ने इस महान स्वतंत्रता सेनानी और उनके परिवार की कथित जासूसी की जांच कराने की मांग की है।
सुभाष चंद्र बोस के भाई के पोते चंद्र बोस एनडीटीवी से कहते हैं, 'सार्वजनिक किए गए नए दस्तावेजों से साबित होता है कि ताइवान में 18 अगस्त, 1945 को एक विमान दुर्घटना में नेताजी की कथित मृत्यु के बाद सरकार ने बोस परिवार की जासूसी कराई थी।'
बोस कहते हैं, 'उन्होंने मेरे पिता अमिया नाथ बोस की जासूसी क्यों करायी? वह दाऊद इब्राहिम नहीं थे! फिर भी उन्होंने उन (अमिया नाथ बोस) पर नजर रखने के लिए खुफिया विभाग के 14 लोग तैनात कर रखे थे। भारतीय सरकार को एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी के परिवार की जासूसी कराने की जरूरत क्यों आन पड़ी? मैं मांग करता हूं कि पीएम (नरेंद्र) मोदी इसकी जांच कराएं।' आपको बता दें कि अमिया नाथ बोस नेताजी के भतीजे थे। (पढ़ें - जब महात्मा गांधी ने कहा, बोस परिवार को श्राद्ध नहीं करना चाहिए)

शुक्रवार सुबह ये फाइलें सार्वजनिक होने से पहले ही बोस परिवार को यह 'खबर' मिली थी कि पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रॉय के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1972 में कुछ अहम दस्तावेज नष्ट कर दिए गए थे। बोस कहते हैं, 'उन दस्तावेज़ों में नेताजी की गुमशुदगी से जुड़ी सूचनाएं थी।'

आपको बता दें कि नेताजी के परिवार और उनके समर्थकों ने कभी इस बात यकीन नहीं किया कि वह विमान हादसे में मारे गए। उनमें से कई का कहना है कि सरकार ने साल 1948 से 1968 के बीच उनकी जासूसी कराई, इससे साबित होता है कि मृत मान लिए जाने के वर्षों बाद तक नेताजी जीवित थे।

जब चंद्र बोस से पूछा गया कि उनकी नजर में इस कथित जासूसी की क्या वजह थी, तो वह कहते हैं, 'एक थ्योरी तो यह है कि सुभाष बोस को लेकर नेहरू में मन में दहशत थी, उन्हें लगता कि अगर नेताजी लौट आए, तो वह खत्म हो सकते हैं। हालांकि मुझे लगता है कि नेहरू का यह डर बेबुनियाद था।'
Share on Google Plus

click News India Host

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment