विश्वविद्यालयों में रजिस्ट्रार और कुलपति की नियुक्ति संबंधी नियमों
में राज्य सरकार ने फेरबदल किए हैं. अब इन पदों पर केवल प्रमोशन या सीधी
भर्ती से यह नियुक्ति की जाएगी.
25 साल पुराने नियमों में संशोधन के बाद अब से
आईएएस-आईपीएस या बाकी किसी सेवा के अफसर राज्य के किसी भी यूनिवर्सिटी में
रजिस्ट्रार नहीं बन सकेंगे. यहां तक की इन सीटों पर सीधी भर्ती और प्रमोशन
का कोटा और आयु भी राज्य सरकार ने तय कर दी है. जहां पहले इन पदों के लिए
आयु सीमा 55 साल थी वहीं अब इसे 45 वर्ष कर दिया गया है.वहीं पदों के लिए सरकार के तय किए गए कोटे से अब डिप्टी
रजिस्ट्रार से प्रमोट होकर 75 प्रतिशत और सीधी भर्ती से 25 प्रतिशत
रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाएंगे. कुल सचिव से लेकर विश्वविद्यालयों
के इंजीनियर तक सभी पदों पर कुल संख्या के 25 प्रतिशत ही प्रतिनियुक्ति से
भरे जाएंगे.
जीवाजी विवि से हटाए जा सकते हैं रजिस्ट्रार
सरकार के नियुक्ति नियमों में बदलावों को लागू कर दिया गया है. सूत्रों की मानें तो इन नए प्रावधानों के चलते जीवाजी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार आनंद मिश्रा को हटाया जा सकता है. मिश्रा मूल रूप से प्रोफेसर हैं और नए प्रावधानों के मुताबिक अब रजिस्ट्रार के पद पर नहीं रह सकते हैं.
कुलपतियों के अधिकार भी हुए कम राज्य सरकार ने नियुक्ति के साथ साथ युनिवर्सिटी के कुलपतियों के अधिकारों में भी कटौती कर दी है. अब कुलपति विभागीय चयन समिति का हिस्सा नहीं रहेंगे. ऐसे में अब वो प्रमोशन में हस्तक्षेप नहीं कर पाएंगे क्योंकि अब प्रमोशन कमेटी का चेयरमैन एमपीपीएससी के अध्यक्ष या उनके द्वारा मनोनीत सदस्य होगा. यहां तक की रजिस्ट्रार, डिप्टी रजिस्ट्रार और असिस्टेंट रजिस्ट्रार के खिलाफ जांच और अन्य कार्रवाई करने का अधिकार भी राज्य सरकार के पास रहेगा.
जीवाजी विवि से हटाए जा सकते हैं रजिस्ट्रार
सरकार के नियुक्ति नियमों में बदलावों को लागू कर दिया गया है. सूत्रों की मानें तो इन नए प्रावधानों के चलते जीवाजी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार आनंद मिश्रा को हटाया जा सकता है. मिश्रा मूल रूप से प्रोफेसर हैं और नए प्रावधानों के मुताबिक अब रजिस्ट्रार के पद पर नहीं रह सकते हैं.
कुलपतियों के अधिकार भी हुए कम राज्य सरकार ने नियुक्ति के साथ साथ युनिवर्सिटी के कुलपतियों के अधिकारों में भी कटौती कर दी है. अब कुलपति विभागीय चयन समिति का हिस्सा नहीं रहेंगे. ऐसे में अब वो प्रमोशन में हस्तक्षेप नहीं कर पाएंगे क्योंकि अब प्रमोशन कमेटी का चेयरमैन एमपीपीएससी के अध्यक्ष या उनके द्वारा मनोनीत सदस्य होगा. यहां तक की रजिस्ट्रार, डिप्टी रजिस्ट्रार और असिस्टेंट रजिस्ट्रार के खिलाफ जांच और अन्य कार्रवाई करने का अधिकार भी राज्य सरकार के पास रहेगा.
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