मुंबई ! भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र
सहवाग ने टेस्ट मैच को पांच की जगह चार दिन का करने के प्रस्ताव पर अपने तरीके से
कटाक्ष करते हुए कहा कि जिस तरह से मछली को अगर जल से निकाला जाए तो वह मर जाएगी
उसी तरह टेस्ट में नयापन लाने का मतलब यह नहीं कि उसकी आत्मा से छेड़छाड़ की जाए।
बीसीसीआई पुरस्कार समारोह में सहवाग ने यहां
एमएके पटौदी स्मारक व्याख्यान में हिन्दी मुहावरों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि
खेल के सबसे लंबे प्रारूप में नयापन लाना दिन-रात्रि टेस्ट मैच तक सीमित रखना
चाहिए।
सहवाग ने अपने तरीके से कहा, ''चार
दिन की चांदनी होती है, टेस्ट मैच नहीं...जल की मछली जल में अच्छी है,
बाहर
निकालों तो मर जाएगी।'' उन्होंने कहा, ''टेस्ट क्रिकेट
को चंदा मामा के पास ले जा सकते हैं। हम दिन-रात्रि टेस्ट खेल रहे हैं, लोग
शायद आफिस के बाद मैच को देखने के लिए आए। नयापन आना चाहिए लेकिन पांच दिन में
बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।''
आईसीसी टेस्ट क्रिकेट को चार दिन का करने का
प्रस्ताव ला रहा है जिस पर मार्च में क्रिकेट समिति की बैठक में चर्चा होगी। इसकी
हालांकि विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर, रवि शास्त्री,
रिकी
पोंटिंग और इयान बॉथम जैसे मौजूदा और पूर्व शीर्ष खिलाड़ियों ने आलोचना की है।
सहवाग ने पांच दिवसीय टेस्ट को रोमांस का तरीका
करार देते हुए कहा कि इंतजार करना इस प्रारूप की खूबसूरती है। उन्होंने कहा,
''मैंने
हमेशा बदलाव को स्वीकार किया है लेकिन पांच दिवसीय टेस्ट मैच एक रोमांस है जहां
गेंदबाज बल्लेबाज को आउट करने के लिए योजना बनाता है, बल्लेबाज हर
गेंद को कैसे मारूं यह सोचता है और स्लिप में खड़ा फील्डर गेंद का ऐसे इंतजार करता
है जैसे प्यार में खड़ा लड़का सामने से हां का इंतजार करता है, सारा
दिन इंतजार करता है कि कब गेंद उसके हाथ में आयेगी और कब वो लपकेगा।''
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