भोपाल : नर्मदा में रेत खनन पर प्रतिबंध लगते ही रेत के दाम आसमान छूने लगे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इससे प्रदेश में रेत की उपलब्धता में बहुत ज्यादा कमी नहीं आई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रतिबंध लगने से रेत की उपलब्धता पांच प्रतिशत से भी कम घटी है। उधर, सरकार के पास रेत के दाम नियंत्रित करने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार कलेक्टरों के माध्यम से रेत के दाम नियंत्रित करने पर विचार कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक इस साल नर्मदा नदी की 84 खदानों में खनन की अनुमति दी गई थी। इन खदानों से इस साल करीब 60 लाख क्यूबिक घन मीटर रेत खनन होना था।
बारिश के एक महीने पहले रेत खनन सरकार ने बंद कर दिया। इसके बाद से रेत के दामों में उछाल आ गया। खनिज अधिकारियों ने बताया कि प्रतिबंध से सिर्फ सात लाख क्यूबिक घन मीटर रेत की कमी आई है। मप्र में इस साल 445 खदानों से 1 करोड़ 70 लाख क्यूबिक घन मीटर रेत निकलना थी।
रेत खनन को लेकर नई नीति पर सरकार ने काम शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि रेत की खरीदी और बिक्री ऑनलाइन की जाए। वहीं अवैध खनन पर लीज निरस्त करने के प्रावधान पर भी विचार किया जा रहा है।
खनिज विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सरकार द्वारा गठित वैज्ञानिकों की कमेटी की रिपोर्ट दिसंबर से पहले आ जाएगी और दिसंबर तक नए नियम तय कर दिए जाएंगे।
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