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स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 : इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर, दूसरे नंबर पर भोपाल

मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल शहरों ने देश भर में कमाल कर दिखाया है। दोनों ही शहरों ने 9 महीने में अपनी स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में जबरदस्त सुधार करते हुए देश भर में पहली और दूसरी रैकिंग हासिल की है। 
स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 में शामिल मध्य प्रदेश के बाकी शहरों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है। इस दौरान टॉप-50 की रैकिंग में मध्य प्रदेश के 11 शहरों ने जगह बनाई है,जिसमें गुजरात के बाद सबसे ज्यादा शहर मप्र के ही है। टॉप -50 की रैकिंग में गुजरात के सबसे ज्यादा 12 शहर शामिल है।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वैकेया नायडू ने गुरूवार को दिल्ली में स्वच्छ सर्वेक्षण 2017में शामिल सभी 434 शहरों की रैकिंग जारी की है।
जिसमें पहले नबंर के सबसे स्वच्छ शहरों में मध्य प्रदेश का इंदौर है। यानि इंदौर का देश के सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है,जबकि स्वच्छ शहरों में दूसरे नंबर पर भोपाल को चुना गया है।
वहीं इसके अलावा जो सबसे खास बात है,वह यह है कि वर्ष 2016 के स्वच्छ सर्वेक्षण में पहले नंबर में चुना गया मैसूर शहर इस वर्ष के सर्वेक्षण में पांचवे नंबर पर आ गया है।
 हालांकि केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने यहां साफ किया, कि मैसूर के रैकिंग में पिछडने का मतलब यह कतई नहीं है,कि वहां अब साफ-सफाई नहीं हो रही है, बल्कि पहले से बेहतर हो रही है। इस बीच सर्वेक्षण का मापदंड जरुर बढ़ गया है। जिसमें उसे पिछड़ना पड़ा है।
सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को सर्वेक्षण के कुल स्कोर दो हजार में से 1807.72 अंक और भोपाल को 1800.43 अंक मिले है। 
सर्वेक्षण रिपोर्ट में देश में सबसे गंदे 50 शहरों में उप्र के सर्वाधिक 25 शहर है। इनमें उप्र का गोंड़ा शहर सबसे गंदा पाया गया है, जिसे रैकिंग में सबसे नीचे यानि 434वां स्थान मिला है। दो हजार के कुल स्कोर में उसे 304 अंक मिले है।
बता दें कि शहरी विकास मंत्रालय ने 6 अगस्त 2016 को देश भर में स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 को कराए जाने की घोषणा की थी। साथ ही बताया था कि इनमें देश भर के सभी 500 शहर हिस्सा लेंगे। हालांकि इस सर्वेक्षण में बाद में सिर्फ 434 शहर ही शामिल हुए।
केंद्रीय मंत्री नायडू ने इस दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए इंदौर की महापौर मालिनी गौड़ और नगर निगम कमिश्नर मनीष सिंह को पुरस्कृत किया है।इसके अलावा भोपाल नगर निगम को भी सम्मानित किया गया। 
इस दौरान भोपाल के महापौर आलोक शर्मा और नगर निगम कमिश्नर छवि भारद्वाज ने यह पुरस्कार लिया। इसके अलावा मध्य प्रदेश के ग्वालियर, जबलपुर जैसे शहरों को भी बेहतर परफार्मेंस के लिए पुरस्कृत किया गया।
 स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 में मध्य प्रदेश के 35 शहर और कस्बों ने हिस्सा लिया था। जिसमें से प्रदेश के 11 शहरों ने टॉप 50 रैकिंग में जगह बनायी है, इनमें इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खरगोन, जबलपुर, सागर, कटनी, ग्वालियर, औंकारेश्वर, रीवा और रतलाम शहर शामिल है।
इसके अलावा सर्वेक्षण में जो अन्य शहर शामिल हुए, उनमें सिंगरौली, छिंदवाड़ा, सीहोर, देवास,होशंगाबाद, पीथमपुर, खंडवा, मंदसौर, सतना, बेतूल,छतरपुर,नागदा, भिंड, नीमच, बुरहानपुर, सिवनी, विदिशा, मुरैना, शिवपुरी, दमोह, डबरा, गुना और दतिया है।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश और झारखंड देश के ऐसे दो राज्य है, जिनके सभी शहरों ने अपने पुराने परफार्मेंस को सुधारा है।
 छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर को छोड़ दें, तो इसके भी सभी शहरों का परफार्मेंस पहले के मुकाबले बेहतर हुआ है।
एक सवाल के जबाव में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वच्छ सर्वेक्षण का मकदस किसी भी शहर या प्रदेश को कम आंकना या दिखाना नहीं है।बल्कि इसका मकसद शहरों और राज्यों के बीच स्वच्छता को लेकर स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा खड़ी करना है। उन्होंने कहा कि यह काम ठीक वैसे ही है,जैसे हम अपने दांत और मुंह को साफ रखने के लिए प्रतिदिन ब्रश करते है। चेहर को सुंदर रखने के लिए शेव करते है आदि।

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