मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि संपूर्ण विश्व तेजी से ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो रहा है। पेट्रोल, औद्योगिक क्रांति की धुरी रहा है, परंतु नॉलेज अर्थात ज्ञान ही 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था का आधार है। ऐतिहासिक रूप से भारतीय ज्ञान परंपरा बहुत समृद्ध रही है। इसी का परिणाम रहा कि आक्रांताओं ने हमेशा हमारे ज्ञान के केन्द्रों को निशाना बनाया और उन्हें नष्ट करने की कोशिश की। भारत अपनी ज्ञान परंपरा का अनुसरण करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व गुरु बनने के मार्ग पर अग्रसर है। विज्ञान शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ शोध, अनुसंधान और नवाचार को भी देश में बहुत महत्व दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अकादमिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश में आईआईटी, आईआईएम, आईसर, ट्रिपल आईटी, एनआईटी और आईआईएफएम जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान विद्यमान है। भोपाल में स्थापित हो रहा राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी का परिसर राष्ट्रीय महत्व का है। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान की भोपाल में उपस्थिति प्रदेश के लिए गौरव का विषय है। राज्य सरकार उच्च शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में अपने स्तर पर प्रयास करने के साथ-साथ निजी भागीदारी को भी प्रोत्साहित कर रही है। प्रदेश में आरंभ हुए पीएम कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस निश्चित ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइसर) भोपाल के 11वें दीक्षांत समारोह के शुभारंभ अवसर पर यह विचार व्यक्त किए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारत के पास टेलेंट, टेक्नालॉजी, प्रबंधन और नेतृत्व का अनूठा संगम है। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान जैसे केंद्रों के माध्यम से देश युवा शक्ति को श्रेष्ठतम शिक्षा उपलब्ध करा रहा है। इन संस्थानों से मिलने वाली डिग्री युवाओं की प्रतिभाओं का बड़ा सम्मान है। इससे समाज में उनकी विशेष पहचान स्थापित होती है। युवाओं का यह कर्तव्य है कि प्राप्त शिक्षा और प्रशिक्षण का अधिक से अधिक उपयोग देश और समाज के हित में हो। मध्यप्रदेश ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में देश के लक्ष्य के अनुरूप कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है। प्रदेश के युवाओं को इंडस्ट्री रेडी बनाने के लिए 6 ग्लोबल स्किल पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। आईआईटी गांधी नगर के साथ मिलकर विज्ञान के लोकव्यापीकरण के लिए नवीन कार्यक्रम आरंभ किया गया है। आईआईटी इंदौर के माध्यम से उज्जैन में भी सेटेलाइट टाऊन की स्थापना की गई है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश निरंतर प्रगति कर रहा है और यह विश्वास है कि हम विश्व के विकसित देश के रूप में अपना स्थान स्थापित करेंगे।
केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह में पदक और उपाधियां प्राप्त करने के लिए बधाई और शुभकामनाएँ दी। उन्होंने कहा कि भारत में जिज्ञासा, शोध और सीखने की संस्कृति और प्रवृति के परिणाम स्वरूप ही देश के विभिन्न राज्यों के विद्यार्थी इस प्रतिष्ठित संस्थान में अध्ययनरत हैं। संस्थान ने विज्ञान शिक्षा में देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान स्थापित की है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि विद्यार्थियों के अध्ययन, शोध और अनुसंधान का अधिकतम लाभ देश के लोगों के कल्याण में हो।
केंद्रीय मंत्री सीतारमण ने फॉसिल फ्यूल के उपयोग को घटाकर नवकरणीय ऊर्जा के उत्पादन और उसके भांडाण के लिए शोध को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि भारत सरकार इस दिशा में विशेष प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि विज्ञान को विभिन्न भागों में बांट कर देखने की बजाए समग्र मानव कल्याण की दृष्टि से देखना आवश्यक है। भारत को-2047 तक विकसित भारत के रूप में स्थापित करने के लिए नवाचार करने होंगे। हमारी सरकार शोध और अनुसंधान के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत सरकार ने इंडिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन को अनुमोदन प्रदान किया है और इसके लिए 10 हजार 300 करोड़ रुपए बजट का प्रावधान भी किया गया है। भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के हब के रूप में भी विकसित किए जाने की योजना है। देश को वर्ष 2047 तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना हमारा उद्देश्य है। भारत का सेमी-कंडक्टर मिशन-2021 में आरंभ किया गया था। भारत में इस क्षेत्र में तीन इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं। स्पेस सेक्टर को निजी क्षेत्र के लिए खोलना बड़ी पहल है। उन्होंने कहा कि नवाचार,शोध और विकास को प्रोत्साहित करने केन्द्र सरकार अपना दायित्व मानती है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव और केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान परिसर में शैक्षणिक भवन और व्याख्यान कक्ष का शिलान्यास किया तथा संस्थान की शैक्षणिक शोभा यात्रा में शामिल हुए। संस्थान का 11वां दीक्षांत समारोह सरस्वती वंदना के साथ आरंभ हुआ। संस्थान के निदेशक प्रो. गोवर्धन दास ने अतिथियों का स्वागत एवं अभिवादन अंग वस्त्रम और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया। संस्थान के निदेशक डॉ. गोवर्धन दास ने संस्थान की रिपोर्ट प्रस्तुत की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव और केंद्रीय मंत्री श्रीमती सीतारमण ने राष्ट्रपति स्वर्ण पदक, निदेशक स्वर्ण पदक, प्रवीणता पदक और सर्वश्रेष्ठ थीसिस के लिए छात्रों को सम्मानित किया।
भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए विद्यार्थी अपनी उपाधियों का उपयोग सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में प्रदेश विज्ञान, शिक्षा सहित विकास और जनकल्याण के क्षेत्र में तेजी से अग्रसर है।
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