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8 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी और 16 से शुरू होगा खरमास, एक माह तक नहीं होंगे मांगलिक कर्म



8 दिसंबर को मार्गशीर्ष मास के शुक्ल की एकादशी है। इसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। महाभारत युद्ध की शुरुआत में अर्जुन ने शस्त्र उठाने से मना कर दिया था, तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश बताए थे। इसके बाद अर्जुन युद्ध के लिए तैयार हुए। इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा करनी चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस पर्व के बाद सोमवार, 16 दिसंबर से खरमास शुरू हो रहा है। इस माह में मांगलिक कर्म नहीं किए जाते हैं।
सूर्य का धनु राशि में प्रवेश
सोमवार, 16 दिसंबर को सूर्य वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश करेगा। इस राशि परिवर्तन के साथ ही खरमास शुरू हो जाएगा। जनवरी में 15 तारीख को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा, तब खरमास खत्म हो जाएगा। इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। इस संबंध में पंचांग भेद भी हैं। खरमास में विवाह, नवीन गृह में प्रवेश, मुंडन, नामकरण संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, वधु प्रवेश, गृह निर्माण, नए व्यापार का शुभारंभ आदि जैसे मांगलिक कर्म नहीं किए जाते हैं। इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने और सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है।
मोक्षदा एकादशी पर क्या करें
8 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी पर गीता का पाठ करना चाहिए। इसे गीता जयंती या गीता एकादशी भी कहते हैं। इस दिन व्रत करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति है, ऐसी मान्यता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को तुलसी चढ़ानी चाहिए। धूप-दीप जलाकर भगवान की पूजा करनी चाहिए।
जो लोग मोक्षदा एकादशी पर व्रत करते हैं, उन्हें साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। भगवान की विधिवत पूजा करें और व्रत कथा पढ़नी चाहिए।
11 दिसंबर को दत्त पूर्णिमा
बुधवार, 11 दिसंबर को भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। प्राचीन समय में ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त अंशावतार भगवान दत्त ने अत्रि ऋषि और अनसूया के यहां जन्म लिया था। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने, दान-पुण्य करने की परंपरा प्रचलित है और भगवान दत्तात्रेय की विशेष पूजा करनी चाहिए।

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