आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को
विजयदशमी मनाई जाती है। मंगलवार को विजयदशमी मनाई जाएगी। श्रीराम ने लंका के राजा
रावण का इस तिथि को वध किया था। इसलिए विजयादशमी बुराई पर अच्छाई के विजय के रूप
में मनाते हैं।
विजयदशमी के दिन शहर के विभिन्न मंदिरों और
घरों में शस्त्र पूजन होगा। शासकीय शस्त्रागारों के साथ आमजन भी आत्मरक्षा के लिए
रखे जाने वाले शस्त्रों का पूजन सर्वत्र विजय की कामना के साथ करते हैं। साथ ही
देश की उन्नति की आराधना भी करते हैं। राजा विक्रमादित्य ने दशहरे के दिन देवी
हरसिद्धि की आराधना की थी। छत्रपति शिवाजी ने भी इसी दिन मां दुर्गा को प्रसन्न
करके भवानी तलवार प्राप्त की थी।
अपराजिता देवी का पूजन करें
विजयादशमी के दिन अपराजिता देवी, शमी
और शस्त्रों का विशेष पूजन किया जाता है। अपराजिता के पूजन के लिए अक्षत, पुष्प,
दीपक
आदि के साथ अष्टदल पर अपराजिता देवी की मूर्ति की स्थापना की जाती है। ओम
अपराजितायै नम: मंत्र से अपराजिता का, उसके दाएं भाग में जया का तथा उसके
बाएं भाग में विजया का आवाहन पूजा करें। दशहरा के दिन नीलकंठ के दर्शन शुभ माना
जाता है।
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