भोपाल : झाबुआ (Jhabua)उपचुनाव में कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया(Kantilal Bhuria) और भानू भूरिया (Bhanu Bhuria)एक-दूसरे को कांटे की टक्कर दे रहे हैं। जहां कांग्रेस की कमान आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री संभाल रहे हैं, वहीं भाजपा के भी सारे शीर्ष नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह, संगठन महामंत्री सुहास भगत सहित कई दिग्गज नेता चुनावी मोर्चा संभाले हुए हैं। इंदौर विधायक रमेश मेंदोला ने प्रबंधन की बागडोर संभाल रखी है।
सांसद जीएस डामोर (GS Damor) के इस्तीफे से खाली हुई इस विधानसभा सीट से भाजपा के बागी कल्याण डामोर भी मैदान में डटे हुए हैं। यहां 21 अक्टूबर को मतदान होना है और मतगणना 24 अक्टूबर को होगी। झाबुआ-रतलाम संसदीय क्षेत्र से पांच बार लोकसभा सदस्य रहे 68 साल के कांतिलाल भूरिया को झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से ताल ठोक रहे हैं। वहीं, भाजपा ने उनके खिलाफ अपने युवा प्रत्याशी भानू भूरिया (36) को उतारकर दांव खेला है।
भानू पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और वह वर्तमान में भारतीय जनता युवा मोर्चा के झाबुआ जिले के अध्यक्ष हैं। हालांकि, इस सीट पर तीन निर्दलीय सहित पांच उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होने की उम्मीद है। निर्दलीय उम्मीदवारों में भाजपा के बागी कल्याण सिंह डामोर, निलेश डामोर और रामेश्वर सिंगार शामिल हैं।
भाजपा के पास यहां खोने के लिए कुछ नहीं है। अब तक जितने भी चुनाव हुए, उसमें कांग्रेस ने ही ज्यादा चुनाव जीते हैं। पिछले चुनाव में भाजपा के जीएस डामोर इसलिए जीते थे, क्योंकि उस चुनाव में कांग्रेस के बागी जेवियर मेढ़ा निर्दलीय प्रत्याश्ाी के रूप में खड़े थे पर इस चुनाव में वैसी परिस्थिति नहीं बनी है। बस भाजपा यहां विकास और कांग्रेस के अधूरे वचन पत्र को मुद्दा बनाने में जुटी हुई है।
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर वर्ष 1952 से लेकर अब तक 15 बार चुनाव हुए हैं। इनमें से कांग्रेस 10 बार जीती है, जबकि सोशलिस्ट पार्टी ने 1952 और 1962 में हुए चुनाव में अपना परचम लहराया। वहीं, भाजपा ने तीन बार साल 2003, 2013 और 2018 में इस सीट को अपनी झोली में डालने में सफलता पाई।
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