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जिला सहकारी बैंक निवेश मामला आज ईओडब्ल्यू को सौंपने के आसार


                      
 भोपाल।   करीब 331 करोड़ के निवेश घोटाला मामले में सहकारिता आयुक्त द्वारा संभवतया सोमवार को मामला जांच के लिए राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो को सौंपे जाने के आसार हैं। इस मामले में राज्य शासन द्वारा अब तक एक विभागीय उपायुक्त को निलंबित कर मुख्यालय में पदस्थ किया है। 
 गौरतलब है,कि यह मामला उजागर होने पर सहकारिता मंत्री डॉ.गोविंद सिंह ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए प्रकरण ईओडब्ल्यू को सौंपे जाने के निर्देश दिए थे। साथ ही उनके निर्देश पर इस मामले में प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए विभागीय उपायुक्त व भोपाल जिला सहकारी क ो-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक के तत्कालीन प्रबंध संचालक आर.एस.विश्वकर्मा को निलंबित किया जा चुका है। निलंबन के दौरान विश्वकर्मा को आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएं कार्यालय में अटैच किया गया है। 
   यह है मामला
 विभागीय सूत्रों के मुताबिक, जिला सहकारी को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक ने रिजर्व बैंक की गाइड लाइन के विपरीत बैंक का क रोड़ों रुपए ऐसी कंपनियों में निवेश कर डाला जिन पर निवेश को लेकर प्रतिबंध लगाया गया है। जिन कं पनियों में निवेश हुआ वे स्वयं दूसरों को कर्ज देती हैं या अधोसंरचना विकास के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। इनमें मुंबई स्थित आईएलएंड एफएस समूह की दो कंपनियां आईटीएनएल व आईईटीएस शामिल हैं। इस समूह में करीब 110 करोड़ रुपए की राशि 9.5 प्रतिशत ब्याज पर सवधि राशि के रूप में निवेश की गई थी। बीते साल अक्टूबर में यह राशि मय ब्याज के 118 करोड़ होने पर बैंक ने इसकी वापसी का तकाजा किया तो कंपनियों ने यह रकम लौटा पाने में असमर्थता जता दी। इस पर बैंक ने पुन: एक साल के लिए इस रकम का निवेश कपंनी में कर दिया । दोबारा निवेश मिलते ही उक्त कंपनियों में से एक ने खुद को दीवालिया घोषित कर दिया जबकि दूसरी ने अपनी खस्ता माली हालत का हवाला देते हुए रकम लौटाने से मना कर दिया। 
 जांच में निवेश की रकम 331 करोड़ तक पहुंची
 बताया जाता है,कि उक्त रकम वापस नहीं होने पर बैंक ने अपने स्तर पर ही मामले को दबाने का प्रयास किया,लेकिन सहकारिता मंत्री डॉ.गोविंद सिंह को इसकी भनक लगी तो उन्होंने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी। जांच में करीब दो सौ करोड़ अन्य राशि के निवेश की बात भी सामने आई। इसमें करीब 150 करोड़ का निवेश तो देश के एक प्रतिष्ठित औद्योगिक समूह में किया गया,लेकिन इस समूह ने भी निवेशित रकम को लौटाने में असमर्थता जता दी। जांच समिति की रिपोर्ट पर प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए उपायुक्त विश्वकर्मा को निलंबित किया गया। अब यह मामला राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो को सौंपे जाने की तैयारी है। माना जा रहा है,कि विभागीय आयुक्त संभवतया कल पूरा प्रकरण ब्यूरो को सौंपेंगे। 
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