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इन 7 आदतों की वजह से ज्यादातर लोग रहते हैं दुखी, यहां जानें वे आदतेंं और उबरने के उपाय


अधिकांश लोग हमें किसी न किसी कारण से अक्‍सर दुखी ही मिलते हैं। हालांकि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अधिकांश मामलों में इन दुखों का कारण हमारी सोचए व्‍यवहार और आदतें ही होती हैं।

अपनी इन आदतों से अगर हम पार पा लें तो हम मनहूसियत से बाहर आकर सही मायनों में लाइफ इन्‍ज्‍वॉय कर सकते हैं। इससे हमारे आसपास की आबोहवा खुशनुमा बनती हैए जिससे हमारी क्रिएटिविटी और प्रोडक्टिविटी काफी बढ़ जाती है।

 कोई शक नहीं कि दिलकश माहौल में सफलता की संभावनाएं कई गुना अधिक होती हैं। आज हम आपकी उन सात सबसे घातक आदतों के बारे में बात कर रहे हैंए जिनके कारण आपकी दुनिया उतनी चमकीली नहीं हो पातीए जितनी की वह हो सकती है। यहां हम आपको इन आदतों से बचने के उपाय भी बता रहे हैं।

आप किस तरह के लोगों के साथ रहते हैं क्‍या पढ़ते हैं क्‍या देखते हैं और क्‍या सुनते हैं। आपके व्‍यक्तित्‍व और सोच पर इन चीजों का गहरा असर पड़ता है। इसलिए सबसे पहले इन चीजों का मूल्‍यांकन जरूर करना चाहिए। निगेटिव लोग सफल होने की सारी संभावनाएं खत्‍म कर देते हैं। हमेशा सकारात्‍मक सोच वाले मेहनती लोगों के साथ रहें प्रेरणास्‍पद पुस्‍तकें पढ़ें और अच्‍छा म्‍यूजिक सुनें। समय कम या नहीं होने की स्थिति में आप न्‍यूज पेपर या टीवी की जगह अच्‍छी ऑडियो बुक सुन सकते हैं।आप जीवन को जितना जटिल बनाएंगे यह उतना जटिल बन जाता है। अगर आप हमेशा सोचें कि लाइफ मुश्किलों से भरी है तो यह वास्‍तव में मुश्किल हो जाती है। और इस जटिलता से तनाव और नाखुशी पैदा होती है। इसलिए अपनी ख्‍वाहिशों और लक्ष्‍यों की लिस्‍ट छोटी रखते हुए एक समय में एक ही काम करें। उसे पूरा करने के बाद ही दूसरा लक्ष्‍य तय करें।



पुरानी और दुखद यादोंए वैचारिक द्वंद्व खत्‍म चुके अवसरों में खो रहने से हमारी अधिकांश ऊर्जा और समय बर्बाद होता है। वर्तमान में जीकर ही हम बीती जिंदगी के अवसादों से उबरकर बेहतर भविष्‍य की ठोस बुनियाद रख सकते हैं। इस प्रक्रिया में योग और ध्‍यान आपकी काफी मदद कर सकते हैं। साथ ही अच्‍छे लोगों का साथ भी आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं। अधिकांश लोग इस बात से अधिक खौफजदा रहते हैं कि दूसरे लोग उनके बारे में क्‍या सोचते हैं। ऐसा सोचकर आप खुद के लिए बड़ी सीमाएं और मुसीबतें ही खड़ी करते हैं। इससे आप नई चीजों और उपायों पर सोचना बंद कर देते हैं। इतना ही नहीं इससे आपका व्‍यक्तित्‍व भी कमजोर और बौना होता जाता है और आप दूसरों के साथ घुलने.मिलने और बात करने में संकोच करने लगते हैं। जबकि सच्‍चाई यह है कि किसी के पास आपके बारे में सोचने का वक्‍त नहीं है।



अधिकांश लोगों की सबसे बुरी आदतों में एक दूसरों से खुद की तुलना करना है। आप अक्‍सर दूसरों की नौकरीए पहनावेए कारोंए घरोंए कपड़ोंए संबंधों और लोकप्रियता से खुद की तुलना करते रहते हैं। सच्‍चाई यह है कि इससे आपका आत्‍मसम्‍मान कम होता है और आपके अंदर निगेटिव विचार जड़ जमाने लगते हैं। इससे उबरने का सबसे अच्‍छा तरीका यह है कि आप खुद से ही खुद की तुलना करें। आप देखें कि पिछले कुछ वर्षों में आपने कितनी तरक्‍की की हैए क्‍या.कुछ हासिल किया है। इससे आपका आत्‍मसम्‍मान बढ़ेगा। दूसरों की मदद करने से भी आपका व्‍यक्तित्‍व प्रभावशाली बनता है। इससे खुद के लिए आप सम्‍मान और अवसर दोनों पैदा करते हैं।अधिकांश लोग बदलती स्थितियों में समाधान की जगह समस्‍याओं पर अधिक सोचते हैं। इससे उनके अंदर असुरक्षा की भावना गहराती चली जाती है। जबकि बदलाव को स्‍वीकारते हुए इसे सीखने के अवसर के रूप में लेना चाहिए। उतार.चढ़ाव को सामान्‍य जीवन का हिस्‍सा समझने से आप हर चुनौती को अवसर में बदल देते हैं।


दुखी होने का एक बड़ा कारण परफेक्‍शन की चाहत भी है। यह संभव ही नहीं है कि आप जो भी काम करते हैं जो व्‍यवहार करते हैं जो सोचते हैंए जैसा दूसरों को समझते हैंए वे सभी पूरी तरह से परफेक्‍ट हों। अलबत्‍ता इससे आप हीनता के शिकार होते चले हैंए और इस हीनता के साथ आप लाइफ में कभी भी खास मुकाम हासिल नहीं कर सकते हैं। बेहतर करने या होने की कोशिश तो होनी चाहिएए लेकिन नतीजे को लेकर व्‍यावहारिक भी होना जरूरी है।

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