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गौर ने दिग्विजय से कहा- भोपाल भूल के मत आ जाना

भोपाल : कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा कठिन सीट से चुनाव लड़ने का विकल्प दिए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर इस चुनौती को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने इसमें कहा है कि 1977 में जनता पार्टी की लहर में भी वे जीते थे और चुनौतियां स्वीकार करना आदत में है।
इस पर भाजपा नेता पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने दिग्विजय को भोपाल से चुनाव लड़ने की चुनौती देते हुए कहा कि यहां से कांग्रेस के बड़े नेता और नवाब तक हार चुके हैं। 
वे यहां आ जाएं, दो-दो हाथ हो जाएं। वहीं, दिग्विजय के राजगढ़ से प्रत्याशी नहीं बनाए जाने के संकेतों के बाद अब सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में पूर्व सांसद नारायण आमलावे और पूर्व विधायक शिवनारायण मीणा के नाम चर्चा में आ गए हैं।
राजगढ़ से टिकट देने के मूड में नहीं है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री कमलनाथ उन्हें सलाह दे चुके हैं कि वे किसी कठिन सीट से लड़ें तो सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनका नाम लिए बिना कहा कि बड़े नेताओं को कठिन सीटों पर ही चुनाव लड़ना चाहिए।
 ऐसी सीटें जहां से पार्टी कई सालों से चुनाव नहीं जीती है। इसके बाद सोमवार को सुबह दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर पार्टी नेताओं की चुनौती को स्वीकार करने के संकेत दिए।
दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे पर सोमवार को दो ट्वीट किए। एक ट्वीट में उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि उन्होंने कमजोर सीटों पर चुनाव लड़ने का आमंत्रण दिया।
उन्होंने लिखा कि मुझे इस लायक समझा, इसलिए मैं उनका आभारी हूं। कमलनाथ का धन्यवाद दिया। इससे पहले सुबह साढ़े सात बजे अपने पहले ट्वीट में सिंह ने कहा कि वे राघौगढ़ की जनता की कृपा से 1977 में भी जनता पार्टी की लहर में चुनाव जीते थे। चुनौतियां स्वीकार करना उनकी आदत में है।
उन्होंने गेंद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पाले में डालते हुए कहा कि जहां से मेरे नेता कहेंगे, मैं लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार हूं।  2014 में कांग्रेस यहां से 2 लाख 28 हजार से ज्यादा वोटों से हारी थी। दिग्विजय के ट्वीट पर बाबूलाल गौर ने उन्हें भोपाल लोकसभा सीट से लड़ने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि यहां भाजपा की जड़ें मजबूत हैं। 
कांग्रेस के सुरेश पचौरी जैसे बड़े नेता से लेकर नवाब साहब तक हार चुके हैं। गौर ने कहा कि भोपाल से जीतना यानी लोहे के चने चबाना है। दिग्विजय सिंह को कहा कि भोपाल भूल के मत आ जाना।
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