कैलाश पर्वत और मानसरोवर को धरती का केंद्र माना जाता है। मानसरोवर को शिव का धाम माना जाता है। मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर भगवान शिव साक्षात निवास करते हैं।
कैलाश पर्वत शिव का सिंहासन माना जाता है। मानसरोवर झील ब्रह्मा जी की मानस संतान। चार धर्मों की आस्था का केंद्र कैलाश मानसरोवर उच्च हिमालयी क्षेत्र का वह हिस्सा है। कैलाश मानसरोवर को स्वयंभू भी कहा गया है।
इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का अद्भुत समागम होता है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।
धार्मिक ग्रंथों में इसे कुबेर की नगरी भी कहा गया है। मान्यता है कि महाविष्णु के करकमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है। जहां प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भरकर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं। मानसरोवर पहाड़ों से घिरी झील है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यही मानसरोवर झील भगवान विष्णु का अस्थायी निवास है। माना जाता है कि महाराज मानधाता ने मानसरोवर झील की खोज की थी। कई वर्षो तक इसके किनारे तपस्या की।
कैलाश पर्वत की चार दिशाओं से चार नदियों का उद्गम हुआ है। जिन्हें ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलज व करनाली कहा जाता है। कैलाश पर्वत के विषय में मान्यता है कि यह तीन करोड़ वर्ष पुराना है।
जो कि हिमालय के उद्भव काल से ही अपना विशिष्ट स्थान रखता है। मानसरोवर यात्रा के लिए पंजीकरण जरूरी है। पंजीकरण कराने वाले यात्री दिल्ली से नैनीताल जिले के काठगोदाम पहुंचते हैं।
यहां से अल्मोड़ा, डीडीहाट होते हुए धारचूला तक बस से यात्रा की जाती है। इसके बाद पिथौरागढ़ के नारायण स्वामी आश्रम से पैदल यात्रा आरंभ होती है।
पहले दिन तकरीबन छह किलोमीटर की यात्रा के बाद यात्रियों को सिर्खा कैंप में विश्राम कराया जाता है। यहां यात्रियों को अपने परिजनों से संपर्क बनाने के लिए सैटेलाइट फोन से बात करने की सुविधा दी जाती है।
यात्रा के लिए अप्रैल से लेकर मई तक ऑनलाइन पंजीकरण किया जा सकता है। पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा विदेश मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देशन में कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड वर्ष 1981 से लगातार संचालित कर रहा।
प्रत्येक वर्ष जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग मार्गों- लिपुलेख दर्रा उत्तराखण्ड, और नाथु-ला दर्रा सिक्किम से इस यात्रा का आयोजन करता है।
यह यात्रा उन पात्र भारतीय नागरिकों के लिए खुली है जो वैध भारतीय पासपोर्टधारक हों और धार्मिक प्रयोजन से कैलाश मानसरोवर जाना चाहते हैं।
कैलाश पर्वत शिव का सिंहासन माना जाता है। मानसरोवर झील ब्रह्मा जी की मानस संतान। चार धर्मों की आस्था का केंद्र कैलाश मानसरोवर उच्च हिमालयी क्षेत्र का वह हिस्सा है। कैलाश मानसरोवर को स्वयंभू भी कहा गया है।
इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का अद्भुत समागम होता है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।
धार्मिक ग्रंथों में इसे कुबेर की नगरी भी कहा गया है। मान्यता है कि महाविष्णु के करकमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है। जहां प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भरकर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं। मानसरोवर पहाड़ों से घिरी झील है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यही मानसरोवर झील भगवान विष्णु का अस्थायी निवास है। माना जाता है कि महाराज मानधाता ने मानसरोवर झील की खोज की थी। कई वर्षो तक इसके किनारे तपस्या की।
कैलाश पर्वत की चार दिशाओं से चार नदियों का उद्गम हुआ है। जिन्हें ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलज व करनाली कहा जाता है। कैलाश पर्वत के विषय में मान्यता है कि यह तीन करोड़ वर्ष पुराना है।
जो कि हिमालय के उद्भव काल से ही अपना विशिष्ट स्थान रखता है। मानसरोवर यात्रा के लिए पंजीकरण जरूरी है। पंजीकरण कराने वाले यात्री दिल्ली से नैनीताल जिले के काठगोदाम पहुंचते हैं।
यहां से अल्मोड़ा, डीडीहाट होते हुए धारचूला तक बस से यात्रा की जाती है। इसके बाद पिथौरागढ़ के नारायण स्वामी आश्रम से पैदल यात्रा आरंभ होती है।
पहले दिन तकरीबन छह किलोमीटर की यात्रा के बाद यात्रियों को सिर्खा कैंप में विश्राम कराया जाता है। यहां यात्रियों को अपने परिजनों से संपर्क बनाने के लिए सैटेलाइट फोन से बात करने की सुविधा दी जाती है।
यात्रा के लिए अप्रैल से लेकर मई तक ऑनलाइन पंजीकरण किया जा सकता है। पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा विदेश मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देशन में कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड वर्ष 1981 से लगातार संचालित कर रहा।
प्रत्येक वर्ष जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग मार्गों- लिपुलेख दर्रा उत्तराखण्ड, और नाथु-ला दर्रा सिक्किम से इस यात्रा का आयोजन करता है।
यह यात्रा उन पात्र भारतीय नागरिकों के लिए खुली है जो वैध भारतीय पासपोर्टधारक हों और धार्मिक प्रयोजन से कैलाश मानसरोवर जाना चाहते हैं।
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