केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उत्तराखंड राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए बिल्कुल आदर्श मामला है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जब उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन की संस्तुति की तो जेटली ने ही राष्ट्रपति को इसके बारे में बताया।
जेटली ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले नौ दिनों से उत्तराखंड में संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है।’’
जेटली ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा में अध्यक्ष ने विनियोग विधेयक को पारित मान लिया, जबकि सदन में मौजूद आधा से अधिक सदस्यों ने मत विभाजन की मांग की थी।
उससे आधार पर मतदान होना चाहिए था। वित्तमंत्री ने कहा, ‘‘उस दिन 18 मार्च को 68 विधायक सदन में थे, जिनमें से 35 ने मत विभाजन की मांग की थी।’’
जेटली ने कहा, ‘‘विधायकों ने कहा था कि उन्होंने विनियोग विधेयक के खिलाफ मत दिया था। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहला उदाहरण है, जब एक नाकाम विधेयक को बगैर मतदान के पारित घोषित कर दिया गया।’’
उत्तराखंड में रविवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस के नौ विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बगावत कर दी थी। विधानसभा में रावत को सोमवार को विश्वास मत हासिल करना था। इसलिए सोमवार का दिन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था।
0 comments:
Post a Comment